आप सब लोग IPO शब्द को कहीं न कहीं तो सुने ही होंगे चाहे वो Youtube, Newspaper, Business TV Channels, Social media या लोगो को चर्चा करते हुए की इस कंपनी का आईपीओ आ रहा इसको खरीद लो खूब पैसा कमाओगे कई लोग IPO में निवेश करना चाहते तो है पर उन्हें ये नहीं पता होता की आईपीओ क्या है, IPO Meaning क्या है, आईपीओ में कैसे निवेश करे या आईपीओ कैसे भरे, आईपीओ काम कैसे करती है, आईपीओ के फायदे और नुकसान क्या है, इसके बारे में सही और सटीक जानकारी नहीं होती इस लिए वे IPO में Invest नहीं कर पाते, क्या आपको पता है की IPO Kya Hota Hai, IPO Full Form in Hindi, आईपीओ अप्लाई कैसे करते है, आईपीओ क्यों लाया जाता है और आईपीओ कैसे पाए, 2022 में आने वाले IPO अगर नहीं जानते तो आप इस आर्टिकल के माध्यम से आईपीओ के बारे में विस्तार से जानेगे
IPO KYA HAI और आईपीओ को लाने का कारण क्या है?
IPO Full Form होता है Initial Public Offering, सीधे शब्दो में कहे तो IPO Meaning in Hindi होता है प्रथम जन प्रस्ताव यानि यदि किसी कंपनी को फण्ड की जरूरत है और वह कंपनी किसी Stock Exchange Market (BSE /NSE) में लिस्टेड नहीं है तो उस कंपनी के मालिक फण्ड जुटाने के लिए कंपनी के Ownership में से अपनी मालिकाना हक़ के कुछ हिस्सों को पब्लिक को बेचकर इक्विटी फंड इकठ्ठा करना चाहते है जिससे वो अपनी कंपनी की ग्रोथ या ऋण चुकाने में मदद पा सके।
इसलिए कंपनी IPO लाकर शेयर मार्केट (BSE या NSE) में लिस्टेड होना चाहती है कोई भी कंपनी शेयर मार्केट में SEBI के मंजूरी के बाद ही आईपीओ ला सकती या लिस्ट हो सकती है। पिछले एक सालो में जितने भी IPOs आये उसमे बहुत ने अच्छा मुनाफा करवाया है।
लेकिन सभी IPO मुनाफा ही नहीं करवाते इसलिए ये जोखिमों से भरा होता है आपको बहुत रिसर्च के बाद ही IPO में पैसा लगाना चाहिए।
आईपीओ कैसे काम करता है? (How to Work IPO)
IPO से कंपनी इक्विटी फण्ड इकठ्ठा करती है जिससे वह अपना ऋण चुकाती है और कंपनी के ग्रोथ में खर्च करती है I आईपीओ फण्ड जुटाने का चौथा स्टेज होता है इससे पहले तीन स्टेज और होते उसके बाद ही आईपीओ में कोई भी आता है I
आईपीओ के फण्ड स्टेज क्या है? (Fund Stages Of IPO)
- Stage 1- इसमें कंपनी की फंडिंग में केवल प्रमोटर का फण्ड होता है जिसमे प्रोमोटर की बचत का पैसा, फैमिली मेंबर्स और दोस्तों का पैसा होता है। Promoter Funds = (Savings, Family and Friends).
- Stage 2- जब कंपनी अपने स्टेज1 में अच्छा काम करती है, मुनाफा और ग्रोथ अच्छा करती है तब इसमें Angel Investors Invest करते है और कंपनी इस फण्ड को अपने ग्रोथ के लिए उसे करती है। Angel Investors एक तरह का भारतीय इन्वेस्टिंग फर्म है जो शुरुआती दौर में किसी कंपनी को फण्ड करता है। 2017 में इसमें 11 देशो के 450 सदस्य थे।
- Stage 3- इसमें Venture Capital फर्म और Private Equity फर्म्स पैसा डालती है। ये एक तरह का फर्म होता है ये ऐसी कम्पनिया को इनिशियल स्टेज में फंड करते है जिसमे अधिक ग्रोथ करने की छमता होती है और इसमें एम्प्लॉई की संख्या में वृद्धि होती रहती।
- Stage 4- इस स्टेज में कंपनी IPO लाती है इसमें कुछ Institutional Investors (Banks, Mutual Funds, Pension Funds) अथवा Non Institutional Investors पैसा इन्वेस्ट करते है इसमें बहुत अधिक संख्या में पब्लिक इन्वेस्ट करते है जिससे इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स कंपनी में आसानी से इन्वेस्ट करते है। IPO Ka Matlab Kya Hai किसी भी कंपनी को IPO की जरूरत तब होती है जब वो कंपनी अपने Business का अधिक विस्तार करना चाहती है या अपने लोन (Debt) को कम करना चाहती या उसके पुराने इन्वेस्टर जैसे की Angel Investor या Venture Capital और Private Equity Firms कंपनी से निकलना (Exit) चाहती हो तो IPO आने के बाद अगर कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाती है तो यहाँ पर अधीक इन्वेस्टर की वजह से लिक्विडिटी बहुत हो जाती है और ऐसे में पुराने इन्वेस्टर अगर निकलना चाहते है तो वो निकल सकते है।
यहाँ पढ़े शेयर मार्केट क्या है? (What is share market in Hindi) 2021
कोई भी कंपनी IPO कैसे लाती है?
किसी भी कंपनी को IPO लाने के लिए कई स्टेप्स फॉलो करने पड़ते है-
Step 1- Select an Investment Bank: कोई भी कंपनी IPO लाने से पहले एक Investment Bank को Hire करती है जो Stock Exchange Market में लिस्टिंग के लिए IPO लाते है। Investing Banks में बड़े बड़े बैंक्स होते है जैसे SBI, AXIS, HDFC, ICICI इत्यादि।
कोई भी कंपनी इन्वेस्टमेंट बैंक को Hire करने से पहले उसके बारे में जानकारी इकठ्ठा करती है की बैंक का रेपुटेशन और ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है। इस बैंक का IPO से फंड उठाने में रिसर्च की क्वालिटी कितनी अच्छी रही है। ये कंपनी के वैल्यू की मूल्य कैसे तय करते है। बैंक का IPO के बाटने का तरीका कैसा है। बैंक का इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर के साथ सम्बन्ध कैसा है और रिटेल इन्वेस्टर में कितनी अच्छी मार्केटिंग करा सकते है। बैंक का कंपनी से पुराना सम्बन्ध भी मायने रखता है।
Step 2- Due Diligence and Regulatory Filings: जब कोई कंपनी किसी इन्वेस्टमेंट बैंक को Hire कर लेती है तो ये बैंक Due Diligence और Filings का पूरा प्रोसेस करेगी इसके अंतर्गत ये आते है-
Underwriting- हामीदारी (अंडरराइटिंग) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक निवेशक बैंक (अंडरराइटर) जारीकर्ता कंपनी और निवेश करने जनता के बीच एक दलाल के रूप में काम करता है ताकि जारीकर्ता कंपनी को उसके शेयरो के Initial Set को बेचने में मदद मिल सके। जारीकर्ता कंपनी (IPO Issuing Company) के लिए निम्नलिखित हामीदारी व्यवस्था उपलब्ध है-
- Commitment Firm- इसका मतलब ये की इन्वेस्टमेंट बैंक कंपनी से कहती है की मान लीजिए हम आपको IPO के जरिये 2000 करोड़ का फंड मार्केट से दिलाएंगे अगर मार्केट से इस अमाउंट से कम का फण्ड मिलता है तो इन्वेस्टमेन्ट बैंक इसको पूरा करेगी, अगर अमाउंट से ज्यादा का फंड मिलता है तो उसे भी इन्वेस्टमेंट बैंक ही रखेगी कंपनी को बस 2000 करोड़ से मतलब होगा।
- Best Effort Commitment- इसमें इन्वेस्टमेंट बैंक और कंपनी के बीच ये सौदा होता है की बैंक IPO लेकर तो आएगी लेकिन यदि तय अमाउंट का फण्ड मार्केट से नहीं मिला तो वो इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगी।
- Syndicate Underwriting- इसमें ये होता है की कोई कंपनी अगर बहुत बड़ा IPO लाना चाहती है तो शायद एक इन्वेस्टमेंट बैंक इसको फंडिंग न करवा पाए इसलिए एक इन्वेस्टमेंट कई और बैंक्स को बुलाता और एक समूह बनाता है इसमें बुलाने वाला बैंक लीडिंग मैनेजर (Lead Manager) होता है ये सब मिलकर कंपनी का आईपीओ लाते है।
- Red Herring Prospectus- इसमें इन्वेस्टिंग बैंक इन्वेस्टर्स को कंपनी के प्रमोटर्स और बिज़नेस डिटेल्स के बारे में अवगत कराती है, कंपनी मार्केट में दूसरे कंपनियों से कैसे कम्पटीट करेगी, कंपनी का कैपिटल स्ट्रक्चर कितना बड़ा है, कंपनी के बिज़नेस का भविष्य में ग्रोथ प्लान क्या है, इस कंपनी के IPO में इन्वेस्ट करने पर जोखिम और अवसर क्या है, कंपनी का पिछला वित्तीय (Financial) डाटा कैसा रहा है। ये सारे काम इन्वेस्टिंग बैंक ही करती है।
- Compliances and Filings- इसका मतलब ये है इसमें इन्वेस्टिंग बैंक्स कंपनी और इसके इन्वेस्टर्स के लिए Guidelines तैयार करते है जिसमे कंपनी के खुद के एक्ट, रूल और रेगुलेशन होते है, कुछ नियम शर्ते SEBI और BSE/NSE की भी होती है उसे कंपनी से फॉलो करवाना, और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट एक्ट ये इन्वेस्टिंग बैंक ही बनती है।
Step 3- Pricing: इसमें इन्वेस्टमेंट बैंक कंपनी की वैल्यू बताती है और उसके हिसाब से कंपनी के शेयर का Price निर्धारित करती है।जैसे मान लीजिये कंपनी का वैल्यूएशन 20000 करोड़ है तो इसमें से केवल 20 % यानी 4000 करोड़ का ही शेयर का Issue इन्वेस्टर्स के लिए कर सकती है बाकि 80 % का शेयर यानि 16000 करोड़ का शेयर कंपनी के प्रमोटर्स के पास रहेगा।
Valuation of Company: Rs. 20000 Crore
Issue Size: Rs. 4000 Crore (20 % of Total Valuation)
Fresh Issue: Rs. 2200 Cr.
Offer For Sale: Rs. 1800 Cr.
Issue Price: Rs. 400 per share (तय मूल्य)
No. of Share to be Issued: 10 Crore (Issue Size / Issue)
Max. Lot Size: 37 Share (एक लॉट ज्यादा से ज्यादा 15000 रुपए का होता है)
Min. Lot Size: 25 Share (एक लॉट कम से कम 10000 रूपये का हो सकता है)
एक रिटेल इन्वेस्टर IPO में अधिक से अधिक 2 लाख रूपये लगा सकता है।
आईपीओ कितने प्रकार के होते है? (Types of IPO)
आईपीओ दो प्रकार के होते है-
- Fixed Price Issue- इसमें शेयर की एक प्राइस अमाउंट फिक्स होता है इस तरह के आईपीओ में प्राइस फिक्स होने की वजह से इन्वेस्टर्स का रुझान कम हो जाता है जिससे आईपीओ में बोली कम हो जाती है और अच्छा सब्सक्रिप्शन नहीं हो पाता।
- Book Building Issue- इसमें इन्वेस्टिंग बैंक कहती है की हम शेयर के लिए एक Price Band रख रहे है मानलीजिए 380 से 400 रूपये तक इसमें Max. Price को Cap Price कहते है और Min.Price को Floor Price कहते है, इन दोनों के बीच का अंतर अधिकतम 20 % हो सकता है।
Step 4- Distribution: इसमें इन्वेस्टमेंट बैंक और कंपनी निर्णय लेते है की Issue को अलग अलग Qualified Institutional Buyers (QIBs) जैसे Banks, Mutual Fund, Pension Fund, Insurance Fund, Provident Fund, Foreign Institutional Fund और Venture Capitals को कितना-कितना शेयर देना है, Non Institutional Investors (जो High Network Individuals होते है ये काफी बड़े अमाउंट में पैसा इन्वेस्ट करते है) इनको बेचेंगे और इसके बाद रिटेल इन्वेस्टर्स (Common Public) को बेचेंगे इन तीनो तरह के इन्वेस्टर को Issue बेचने के लिए कंपनी और बैंक इनको मार्केटिंग करते है। इसके बाद डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क इसको डिस्ट्रीब्यूट करता है।
Step 5- Application Process: इसमें इन्वेस्टर्स आईपीओ पाने के लिए आवेदन करते है आवेदन से पता चलता है की आईपीओ कितने लोग खरीदना चाह रहे है।
आईपीओ आवेदन करने के लिए योग्यता क्या होनी चाहिए?
कानूनी रूप से कोई भी वयस्क आईपीओ के लिए अप्लाई कर सकता है बस उसके पास आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया PAN Card और एक वैलिड डीमैट अकाउंट होना चाहिए, इसे अप्लाई करने के लिए आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट का होना अनिवार्य नहीं होता, लेकिन आईपीओ मिलने के बाद इसके शेयर को बेचने के लिए आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना अनिवार्य है, इसीलिए आईपीओ अप्लाई करते समय ही ब्रोकर डीमैट अकाउंट के साथ आपका ट्रेडिंग अकाउंट भी खोल देता है।
आईपीओ के लिए आवेदन कैसे करे? (How to Apply IPO)
आईपीओ अप्लाई दो तरीको से हो सकता है Offline और Online
आईपीओ में ऑफलाइन आवेदन कैसे करे? (How to Apply IPO Online)
आईपीओ ऑफलाइन आवेदन करने के लिए आपका डीमैट अकाउंट जहाँ है बैंकर या ब्रोकर के पास वहाँ से फॉर्म लेकर उसे अपने से भर कर उसे ब्रोकर या बैंकर के पास सबमिट करना होता है।
आईपीओ में ऑनलाइन आवेदन कैसे करे? (How to Apply IPO Offline)
ऑनलाइन आवेदन में आप जिस भी ब्रोकर के पास अपना ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खुलवाए है उसके Broking App या Web के पर दिए गए ट्रेडिंग इंटरफ़ेस के माध्यम से कर सकते है।
IPO Apply करने से पहले किन बातो का रखें ध्यान?
आईपीओ में अप्लाई करने से पहले निम्नलिखित बातो का ध्यान देना चाहिए जिससे आप होने वाले नुकसान से बच सकते है-
कंपनी के Red Herring Prospectus को चेक करे जो आपको सेबी (SEBI) की वेबसाइट पर मिल जाएगी इसमें कंपनी के आईपीओ से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध होती है जैसे-
- IPO Issue का उद्देश्य क्या है
- कंपनी का Business Detail क्या है।
- कंपनी का Capital Structure कैसा है।
- कंपनी के Business में Risk Factor क्या-क्या है।
- कंपनी की Risk Strategy कैसी है मतलब कंपनी का अपने बिज़नेस में रिस्क लेने का रेश्यो क्या है।
- Promoter और Management का Behaviour कैसा है यानि ये किस तरीके की निर्णय लेते है और उनके परिणाम कैसे है।
- कंपनी के Past Growth और Potential Growth को देखे और प्रमोशन पर कितना एक्सपेंस कर रही है।
- कंपनी का Order Book कितना भरा है।
- कंपनी का Past Financial Data कैसा रहा है।
- कंपनी के Balance Sheet को देखें।
- कंपनी के Fundamentals को देखें।
- आईपीओ का वैल्यूएशन चेक करे E.P.S (Earning Per Share), ROE, ROCE, ROA कितना है कहीं आईपीओ का वैल्यूएशन महंगा तो नहीं है। ये आपको Economics Times या Money Control जैसे फाइनेंसियल वेबसाइट पर मिल जाएंगी।
- कंपनी का उसके Peer Company (सेक्टर से सम्बंधित कंपनी) से सभी मायनो में तुलना करे जैसे P/E Ratio.
- आईपीओ का GMP (Grey Market Premium) देखे की Issue Price से कितना अधिक है इससे ये पता चलता है मार्केट में इस आईपीओ पर लोगो की प्रतिक्रिया क्या।
- कंपनी प्रॉफिट में है की नहीं, कर्ज बहुत ज्यादा तो नही है, मार्केट शेयर बढ़ रहा है की नहीं।
Step 6- Allotment: इसमें दो तरह का कोटा होता है
- Allotment Quota- इसमें रिटेल इन्वेस्टर्स को कम से कम 50 % शेयर देने होते है कंपनी यदि रिटेल इन्वेस्टर्स को देती 60 % शेयर देती है तो QIBs और Non Institutional Investors को 40 % देती है।
- Book Building Issue Allotment Quota- इसमें रिटेल इन्वेस्टर्स को कम से कम 35 % शेयर देना होता है , QIBs को अधिकतम 50 % शेयर अलॉट होगा और Non Institutional Investors (NIIs) को कम से कम 15 % शेयर अलॉट करना होगा।
अगर जितना Issue Size है उतना ही आवेदन हुआ है तो सारे इन्वेस्टर्स को IPO अलॉट हो जायेगा।
IPO में अगर आप एक शेयर लेना चाहे तो नहीं ले सकते क्योकि इसमें Lot खरीदना पड़ता है।
Oversubscription in IPO क्या होता है और इसमें IPO का Allotment कैसे होता है?
जब किसी IPO के लिए आवेदन Issue Size से ज्यादा या इसके कई गुना आवेदन हो जाता है तो इसे Oversubscription कहते है। इसको एक उदाहरण से समझते है मानलीजिए किसी IPO का Oversubscription 1.5 गुना हो गया हो तो ऐसे में प्रत्येक रिटेल इन्वेस्टर को कोटे का एक-एक लॉट मिल जायेगा बाकि का जो कोटा बचेगा उसे Proportionate के आधार पर बाटा जायेगा, जो ज्यादा लॉट के लिए आवेदन किया है उसे ज्यादा लोट मिलेगा। NIIs और QIBs को Proportionate के आधार पर दिया जाता है।
अगर मान लीजिए IPO का Oversubscription 100 गुना हो गया हो तो ऐसे में सभी आवेदक को तो आईपीओ मिल नहीं सकता इसलिए रिटेल केटेगरी के कोटे में कंप्यूटर से लकी ड्रा करते है और लॉट का अलॉटमेंट करते है। यहाँ भी NIIs और QIBs को Proportionate के आधार पर दिया जाता है। रिजर्व्ड केटेगरी भी होती है जिसमे कंपनी के एम्प्लॉई होते है।
Step 7- Listing on Stock Exchange लिस्टिंग के प्रोसेस में आईपीओ में Issue के लिए 3 से 5 दिन तक बिड ऑफर चलता है।बिड लगाने के लिए किसी भी स्टॉक ब्रोकर UPI से या Bank UPI से जाकर पैसे लगा सकते है जिसमे बिड का अमाउंट ब्लॉक कर दिया जायेगा और यदि आपको शेयर नहीं मिलता तो आईपीओ लिस्टिंग के कुछ दिन बाद आपको रिफंड मिल जायेगा।आईपीओ का स्टॉक मार्किट में लिस्टिंग के लिए कम से कम 90 % का सब्सक्रिप्शन होना चाहिए।
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आईपीओ के फायदे और नुकसान
आईपीओ के फायदे
आपको शेयर मार्केट को जानने और निवेश करने का अच्छा मौका होता। कंपनी के शुरुआती दौर में आप उसके हिस्सेदार हो जाते है | कम पैसे से ही ज्यादा रिटर्न कमाने का मौका होता है। हाई लिस्टिंग होने पर लिस्टिंग के दिन ही इन्वेस्टमेंट अमाउंट का दो गुना से भी ज्यादा का रिटर्न लेकर निकल भी सकते है जैसे-
Nykaa Fashion IPO को पहले दिन ही 90% का बढ़त मिल गया था इसका Issue Price 1125 रूपये था, और इसकी लिस्टिंग हुई 2018 रूपये पर और वहां से 2500 रूपये तक का हाई लगाया।
आईपीओ के नुकसान
बहुत से लोग कंपनी के फाइनेंसियल और वैल्यूएशन को बिना जाने समझे और वैल्यूएशन या कंपनी के बारे में डिटेल एनालिसिस किये बिना ही उसमे इन्वेस्ट करते है ये देख कर की आईपीओ में खूब पैसा बनता है और नुकसान उठा बैठते है क्योकि सारे आईपीओ फायदा नहीं देते। कुछ आईपीओ जितनी प्राइस होनी चाहिए उससे बहुत अधिक वैल्यू (प्राइस) पर आते है उसमे नुकसान भी होता है जैसे-
Paytm आईपीओ का Face Value 1 था फिर और IPO का Issue Price 2150 रूपये था जो अपने रियल वैल्यू 600 Rs. से बहुत ज्यादा था और इसकी लिस्टिंग 1955 रूपये पर हुई और उसी दिन गिरकर 1500 रूपये पहुंच गया और इन्वेस्टर्स को बर्बाद कर दिया क्योकि Paytm का रिजल्ट पिछले 10 सालो में कभी मुनाफे में आया ही नहीं उसके बाद भी हाई वैल्यूएशन पर आईपीओ लाये थे।
IPO की नियम एवं शर्ते
SEBI ने आईपीओ में ऑफर फॉर सेल के जरिये कंपनियों के वर्तमान शेयरधारको को शेयर बेचने की सीमा तय कर दी है। इसके तहत जिन शेयरहोल्डरों की कंपनी में 20% से ज्यादा की हिस्सेदारी है वे ऑफर फॉर सेल के जरिये अपने हिस्सेदारी का केवल 50% ही बेच सकते है। और जिन शेयरहोल्डरों की कंपनी में 20% से ज्यादा की हिस्सेदारी है वे ऑफर फॉर सेल के जरिये अपने हिस्सेदारी का केवल 50% ही बेच सकते है। इसके अलावा जिन निवेशकों की 20% कम की हिस्सेदारी है वे ऑफर फॉर सेल में अपने कुल होल्डिंग का 10 प्रतिसत शेयर ही आईपीओ में बेच पाएंगे।
1 अप्रैल 2022 से या उसके बाद खुलने वाले सभी Issue पर Anchor Investor के लिए लॉकइन पीरियड को बढाकर 90 दिन कर दिया गया है।
Qualified Institutional Investors- इसमें Anchor Investor होता है ये बनने के लिए कम से कम 10 करोड़ का बिड लगाना होता है, QIB अलॉटमेंट का 60 % Anchor इन्वेस्टर के पास जाता है, इसमें ⅓ हिस्सा डोमेस्टिक म्यूच्यूअल फण्ड के होते है और ⅔ हिस्सा दूसरे Anchor Institution के होते है। बाकी के बचे 40 % दूसरे QIBs को चला जाता है।
IPO Bid Amount कौन कितना लगा सकता है?
- Retail Investor अधिकतम 2 लाख रूपये का Bid लगा सकते है।
- Qualified Institutional Buyer (QIB) और Non Institutional investor (NII) कम से कम 2 लाख का Bid लगा सकते है। कंपनी के एम्प्लॉई अधिकतम 5 लाख का बिड लगा सकते है।
- Cap Price पर केवल रिटेल इन्वेस्टर बिड लगा सकता है, QIBs और NIIs ऐसा नहीं कर सकते।
- रिटेल इन्वेस्टर अपने बिड को Revise कर सकता है। लेकिन QIBs और NIIs ऐसा नहीं कर सकते।
- Issue के बाद कैपिटल का कम से कम 20 % हिस्सा प्रमोटर के पास होना चाहिए उसे कम से कम 3 साल तक बनाये रखना होगा।
- IPO में पैसा लगाने के लिए आप किसी भी डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर के एप्प पर डीमैट अकाउंट खोलकर UPI से पैसा लगा सकते है।
2022 में आने वाले कंपनियों के आईपीओ (Upcoming IPO of 2022)
2021 में कई अच्छी कंपनियों के आईपीओ आ चुके है जिसमे से बहुत से कंपनियों ने Multibagger Return दिए है और 2022 में आने वाले टॉप आईपीओ देखे
- LIC आईपीओ: भारत का सबसे बड़ा आईपीओ है जो 1 लाख करोड़ का होगा ये 2022 के पहले तिमाही तक आ सकता है।
- NSE (National Stock Exchange) आईपीओ: इस आईपीओ के जरिये 10000 हजार करोड़ जुटाए जा सकते है।
- BYJU’S आईपीओ: ऑनलाइन एजुकेशन के मामले में ये देश का सबसे बड़ी एडटेक कंपनी है जिसका आईपीओ इसी साल आने की सम्भावना है।
- Delhivery आईपीओ: ये लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन का स्टार्टअप है जो आईपीओ के जरिये 7460 करोड़ रूपये का फण्ड जुटा सकती है।
- OYO आईपीओ: सबसे बड़े होटल चेन वाली कंपनी भी अपना आईपीओ इसी साल ला सकती है।
- PharmEasy आईपीओ: यह एक फार्मास्युटिकल प्लेटफार्म की कंपनी है जो आईपीओ के जरिये 6250 करोड़ रूपये का फण्ड इकठ्ठा करेगी और अपने कर्ज का भुगतान करेगी और कंपनी के ग्रोथ में खर्च करेगी।
- Snapdeal आईपीओ: यह एक ई-कॉमर्स स्टार्टअप कंपनी है जो आईपीओ के जरिये 1250 करोड़ रूपये का फण्ड इकठ्ठा करेगी।
- Mobikwik आईपीओ: यह भारत की शीर्ष मोबिल वॉलेट कंपनियों में से एक है जो आईपीओ लेन के लिए SEBI के पास अपने दस्तावेज जमा कर चुकी है।
- OLA आईपीओ: यह ऐप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली कंपनी है और अब तो ये अपना इलेक्ट्रिक स्कूटर भी लांच कर चुकी है जिसने पहले ही दिन सबसे ज्यादा स्कूटर बुकिंग का रिकॉर्ड बनाया। ये अब कार बनाने की तयारी में भी है इसका आईपीओ इसी साल आ सकता है
- Ruchi Soya आईपीओ: यह भारत की सबसे बड़ी आयल मील एक्सपोर्टर्स में से एक है इसे 2019 में पतंजलि के द्वारा अधिग्रहण किया गया गया। इस आईपीओ के माध्यम से 4300 करोड़ रूपये जुटाएगी इसे सेबी से अप्रूवल भी मिल गया है। इसके पॉपुलर ब्रांड है Sun Rich Oil , Ruchi Gold, Nutrela Soya Foods, Ruchi Star Oil.
ऐसे ही बहुत से कंपनियों के आईपीओ आने वाले है जिसमे आपको भी आने वाले अच्छी कंपनी के आईपीओ के लिए अच्छी रिसर्च के साथ अप्लाई करना चाहिए। इसके लिए इस लिंक पर जाये Upcoming IPOs in India 2022
निष्कर्ष
आप सब इस आर्टिकल के माध्यम से ये जाने की की आईपीओ (IPO) क्या है, आईपीओ कैसे काम करता है, कोई भी कंपनी आईपीओ क्यों लाती है, आईपीओ कैसे काम करता है, आईपीओ कैसे अप्लाई कर सकते है, आईपीओ में निवेश करने के फायदे और नुकसान को डिटेल में बताया गया है अगर इस आर्टिकल के माध्यम से आपको नयी जानकारियाँ प्राप्त हुई हो और अच्छा लगा हो तो कमेंट बॉक्स में अपना फीडबैक जरूर दे और इसे आगे शेयर करे।