What is Hyperloop in Hindi? Hyperloop Technology कैसे काम करती है?

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हम सब ने बहुत लोगो को हाइपरलूप (Hyperloop) पर चर्चा करते सुना होगा, यूटूब  या सोशल मीडिया पर सुना होगा की हाइपरलूप के माध्यम से हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत कम समय में जा सकते है का आप जानते है की हाइपरलूप ट्रेन कैसे चलती है?, अगर नहीं तो आइए विस्तार में जानते है क ट्रांसपोर्टेशन का 5वा साधन हाइपरलूप क्या है? (What is Hyperloop in Hindi), हाइपरलूप कैसे काम करता है?, हाइपरलूप पॉड परीक्षण कहाँ किया गया?, हाइपरलूप की खोज किसने की?, हाइपरलूप मीनिंग इन हिंदी 

हाइपरलूप क्या है? (What is Hyperloop in Hindi)

हाइपरलूप (Hyperloop in Hindi) ट्रांसपोर्टेशन का  एक ऐसा 5वा  साधन है जिसकी मदद से इंसान एवं वस्तुओ को इस संसार में एक  स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत तेजी के साथ एवं सुरक्षित तरीके पहुंचाया जा सकता है। हाइपरलूप मैगनेट के बने ट्यूब (Loop) के अंदर चलने वाली कैप्सूल रुपी एक मैगनेटिक ट्रेन है, जिसकी चलने की रफ्तार लगभग 1200 किमी/घंटा है जो की हवाई जहाज के लगभग दोगुना है।इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है की इससे पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं है, क्योकि इसको चलाने के लिए डीजल या पेट्रोल की जरूरत नहीं है जिसकी वजह से किसी भी प्रकार का कार्बन उत्सर्जन हो ,और दुर्घटना होने का भी संभावना कम  है।

हाइपरलूप की खोज किसने की?

 हाइपरलूप (Hyperloop) का कांसेप्ट सबसे पहले अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट गोडार्ड ने सन 1910  में दिया, पर इस तकनीक में कुछ कमियां होने की वजह से उस समय इस तकनीक को  नहीं अपनाया जा सका। रॉबर्ट गॉडर्ड इन्होने ही सबसे पहले तरल ईंधन से चलने वाले रॉकेट को सन 1926  में उड़ाया। टेस्ला मोटर्स कंपनी के सीईओ एवं सह – संस्थापक एलन रीव मस्क जो की एक बिजनेस मैग्नेट, इंडस्ट्रियल डिज़ाइनर और इंजीनियर है। वह स्पेसएक्स के संस्थापक, सीईओ, सीटीओ और मुख्य डिजाइनर हैं। उन्होंने ही सन 2013 में हाइपरलूप की पुरानी तकनीक में संशोधन करके दुनिया के सामने एक नए आइडिया के साथ हाइपरलूप के कांसेप्ट को रखा|।

हाइपरलूप पॉड परीक्षण कहाँ किया गया?

रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन हाइपरलूप (Virgin Hyperloop) को सन 2014 में पहली बार शुरू किया गया। आपको बता दे की यह कंपनी बिना यात्री के लगभग 400 से अधिक बार सफल परीक्षण कर चुकी थी। जिसने  8 नवंबर 2020 को  यात्रियों के साथ पहला परीक्षण सफलता पूर्वक कर लिया है, इस परीक्षण में एक पॉड (Hyperloop Pods) में दो यात्री को बैठाकर लूप में भेजा गया। और इस परीक्षण को अमेरिका में स्थित नेवाडा स्टेट के लॉस वेगास में किया गया जिसकी रफ़्तार (Hyperloop Speed) लगभग 172 किमी/घंटा थी। वर्जिन हाइपरलूप इस तकनिकी पर सफल परीक्षण करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गयी। इस परीक्षण में यात्रा करने के लिए दो यात्री जिसमे वर्जिन हाइपरलूप के चीफ टेक्नोलॉजी अफसर जोश गेगल और हेड ऑफ़ पैसेंजर एक्सपीरियंस डायरेक्टर सारा लुचियान ने हिस्सा लिया।

हाइपरलूप कैसे काम करता? (How to work hyperloop in hindi)

हाइपरलूप टेक्नोलॉजी में विशेष प्रकार का डिज़ाइन किया हुआ पॉड (एक तरह का ट्रेन की बोगी) का इस्तेमाल किया जाता है जिसमे यात्री बैठते है, जो की मैगनेट का बना होता है। इसकेबाद इन पॉड्स को बड़े- बड़े ट्यूब (Loop) में भेजा जाता है, इसे एल्क्ट्रो-मैगनेट पर चलाया जाता है। ट्यूब का आंतरिक भाग एवं पॉड का बाहरी भाग चुम्बक के समान ध्रुव (South- South Pole or North- North Pole) के बने होने के कारन चुम्बकीय प्रभाव से ये एक दूसरे को सामान बल से विपरीत दिशा में धकेलते है, जिसके कारन ये पॉड्स ट्रैक की सतह से कुछ ऊपर उठ जाते है और घर्षण (Friction) का प्रभाव काम हो जाता है, और इसकी स्पीड बढ़ जाती है।

हाइपरलूप ट्रेन कैसे चलती है?

ट्रांसपोर्टेशन के इस तकनीक में बड़े- बड़े ट्यूब्स के अंदर वैक्यूम जैसा वातावरण तैयार किया जाता है, यानि की ट्यूब्स के अंदर से लगभग 90 % हवा बाहर निकाल दी जाती है जिससे हवा का घर्षण काम हो जाता है। 10 % हवा इस ट्यूब इसलिए छोड़ दिया जाता है, जिसकी मदद से पॉड को ट्यूब के अंदर रोका (Brake) जा सके, पॉड को आगे की दिशा में चलाने के लिए लीनियर मोटर का इस्तेमाल करते है जिसमे दो पंखे एक आगे की दिशा तथा दूसरा पीछे की दिशा में लगा होता है, जब पॉड चलता है तब दोनों पंखे पॉड के चलने के सामान दिशा में चलते है और हवा को पीछे की ओर फेकते है जिससे पॉड  की स्पीड और भी बढ़  जाती है।

और जब पॉड को रोकना होता है तब इन पंखो की घूमने की दिशा को पॉड के चलने के विपरीत दिशा में कर दिया जाता है जिससे हवा का ड्रैग उत्पन्न होता है और पॉड रुक जाता है। इस तकनीक में किसी भी ब्रेक का इस्तेमाल नहीं किया जाता, इसमें लगा हुआ पंखा ही ब्रेक का काम करता है। इन पॉड्स में पहिये नहीं लगे होते, ये खाली स्थान में तैरते हुए आगे बढ़ते है। किसी भी ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम का सबसे बड़ा अवरोध उसकी सतह से पहिये के संपर्क से उत्पन्न घर्षण और वाहन में लगने वाला हवा के ड्रैग का होता है। जिससे ईंधन की खपत ज्यादा होती है। परन्तु हाइपरलूप सिस्टम में घर्षण और हवा का ड्रैग का प्रभाव लगभग शून्य होता है। जिसके वजह से इसे चलाने के लिए बहुत ही कम बिजली की जरूरत होती है।

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भारत में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के फायदे एवं नुकसान (Merits and Demerits of Virgin Hyperloop India) 

हम सभी जानते है की भारत पेट्रोलियम के मामले में गल्फ देशों पर निर्भर है भारत में पेट्रोलियम उत्पादन की कमी है, हाइपरलूप को चलने के लिए पेट्रोलियम की जरूरत नहीं है, जिससे पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं है। इसकी स्पीड ज्यादा होने की वजह से यात्रा में होने वाले समय का बचत होगा। जैसे अभी कश्मीर से कन्याकुमारी का यात्रा करने में ट्रेन से 61 घंटे लगते है पर हाइपरलूप से हम मात्र 3 से 4 घंटे में कर सकते है। इसके ट्रैक को बनाने के लिए बहुत ज्यादा जगह की खपत नहीं होगी।

इसको चलाने के लिए  बहुत ही कम बिजली की आवस्यकता  है, जो की ट्यूब के बाहरी भाग पर सोलर प्लेट्स लगाकर बिजली पैदा की जा सकती है। इसमें दुर्घटना होने की सम्भावना कम है। इसकी स्पीड ज्यादा होने की वजह से  इसके  ट्रैक को  सीधा रखा जायेगा जिसके वजह से पेड़ो की कटाई ज्यादा होगी। इसको चलाने के लिए तथा  ट्यूब को बिछाने के लिए  सतह को समतल होना जरूरी है इसलिए इसे ब्रिज पर से ले जाया जाएगा। इसको बनाने में बहुत ही ज्यादा खर्च आएगा।

सन 2019 के अगस्त में सरकार ने वर्जिन हाइपरलूप को मुंबई से पुणे के बीच प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी, मुंबई-पुणे के पहले फेज में 11.8 किमी लम्बा ट्रैक बनना था जिसकी लागत लगभग 10 अरब डॉलर थी।लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया है। लेकिन वर्जिन हाइपरलूप अब भी इस प्रोजेक्ट को भारत में  दिल्ली से मुंबई के बीच चलाने के लिए भारत सरकार से लगातार बात कर रही है।     

निष्कर्ष 

आपको इस आर्टिकल के माध्यम से पता चला की आने वाले समय में लोग Hyperloop के माध्यम से बहुत ही कम समय में लम्बी दूरी को तय कर सकते है और ईंधन की बचत कैसे होगी हाइपरलूप तकनिकी (Hyperloop Technology) से, हाइपरलूप क्या है? (What is Hyperloop in Hindi), हाइपरलूप कैसे काम करता है?, हाइपरलूप पॉड परीक्षण कहाँ किया गया?, हाइपरलूप की खोज किसने की? हाइपरलूप ट्रेन कैसे चलती है? इन सब के बारे में आपने विस्तार से जाना यदि आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताये और इसे आगे शेयर करे