PE Ratio Kya Hota Hai ? और Share Ka PE Ratio Kitna Hona Chahiye ?

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यदि आप स्टॉक मार्केट यानि शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करते है तो आपको ये जानना अति आवश्यक है की PE Ratio Kya Hota Hai ?, PE Ratio Meaning, PE Ratio Formula Kya Hota Hai ?, PE Ratio Kitna Hona Chahiye ? और PE के आधार पर निवेश के महत्वपूर्ण तथ्य क्या – क्या होते है।

यदि आप किसी स्टॉक को लम्बी अवधी के लिए खरीद रहे है तो आपको ये पता होना चाहिए की आप जो स्टॉक खरीद रहे है वो बहुत महंगा तो नहीं है अगर आप बिना इसके मूल्यांकन के स्टॉक में इन्वेस्टमेंट करते है तो आपका नुकसान हो सकता है। आपको किसी भी स्टॉक में इन्वेस्ट करने से पहले उस स्टॉक का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी है। इसका मूल्य आपको स्टॉक का PE Ratio चेक करने पर पता चलेगा।

इसके लिए आपको ये भी जानना होगा EPS Kya Hota Hai ?

PE Ratio Kya Hota Hai ? (What is PE Ratio in Hndi)

PE Ratio Full Form होता है Price to Earning Rartio. PE Ratio Meaning in Hindi इसका मतलब है कीमत से कमाई का अनुपात, इससे स्टॉक के मूल्य का पता चलता है, की वर्तमान में स्टॉक के प्रति शेयर मूल्य के आधार पर भविष्य में होने वाली कमाई के प्रत्येक रुपये का आकलन होता है।  PE Ratio शेयर के वर्त्तमान की कीमत को समझाने में मदद करता है और इसकी अनुमानित प्रति शेयर की कमाई के सापेक्ष इसकी कीमत के आधार पर वृद्धि का अनुमान लगाया जाता है।

उदाहरण : माना किसी शेयर का PE 15 है तो इसका मतलब की इस स्टॉक में आपको भविष्य में 1 रूपये कमाने के लिए वर्तमान में आपको 15 रूपये खर्च करने होंगे |

P/E Ratio निकालने का सूत्र ( PE Ratio Formula)

किसी स्टॉक की वर्तमान प्रति शेयर मार्केट मूल्य में प्रति शेयर आय (E.P.S.) से भाग देने पर PE Ratio निकलता है |

PE Ratio = Per Share Price / E.P.S.

जहाँ E.P.S.= Earning per share = Total Profit of the company/Number of total share of the company 

किसी कंपनी के कुल प्रॉफिट में कुल शेयर की संख्या से भाग देने पर E.P.S. निकलता है |

TTM E.P.S. से तात्पर्य है की पिछले एक वर्षो में कंपनी का प्रदर्शन कैसा रहा है | कंपनी के शेयर होल्डर्स को प्रति शेयर कितना रिटर्न मिला है |

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PE के आधार पर निवेश के महत्वपूर्ण तथ्य (PE Ratio Kitna Hona Chahiye)

मॉर्केट के कथनानुसार अगर किसी कंपनी का फंडामेंटल्स और उसके रिजल्ट बेहतर है तथा उसका P/E Ratio 10 से 15 के बीच है तो यहाँ पर स्टॉक खरीदना भविष्य के लिए एक अच्छा निवेश माना जाता है क्योकि 15 के नीचे स्टॉक undervalued माना जाता है | यदि स्टॉक का PE Ratio 20 से 30 के बीच या उसके ऊपर है तो यहाँ  पर प्रॉफिट बुक करना एक अच्छा  माना जाता  है क्योकि 30 के ऊपर का PE Ratio overvalued स्टॉक माना जाता है |

यदि किसी कंपनी का शेयर खरीदना है, तो उस कंपनी के PE को चेक करे यानि जिस सेक्टर में कंपनी है। कंपनी के PE Ratio को Sector PE और Strong Peer कंपनी से तुलना करे, की कही कंपनी का PE Ratio इन दोनों की तुलना में ज्यादा तो नहीं है | बहुत ज्यादा PE वाले स्ट्रांग फंडामेंटल के शेयर में आप शार्ट टर्म में कई गुना रिटर्न की उम्मीद नहीं कर सकते। यदि किसी कंपनी का PE Ratio 10 से नीचे है तो उसका E.P.S. सही होना चाहिए |

कंपनी का PE Ratio हमेशा प्रॉफिट के आधार पर बदलता रहता है | बहुत ज्यादा स्ट्रांग फंडामेंटल और ब्रांडिंग वाले शेयर जैसे आईटी कम्पनिया, टेक्नोलॉजी से सम्बंधित कम्पनिया, और दूरसंचार कंपनियों का PE टेक्सटाइल या विनिर्माण क्षेत्रों वाली कंपनियों से अधिकतर ज्यादा ही होता है | कुछ कम्पनिया देश की अर्थव्यस्था यदि तेजी से बढ़ रही है तो उसका उन्हें लाभ मिलता है जिससे कंपनियों के भविष्य में ग्रोथ करने की सम्भावना अधिक होती है जिससे उनका PE Ratio अधिक होता है जिसके लिए निवेशक उसे सभी मूल्य पर खरीदना चाहते है | घाटे में चल रही कंपनी का P/E Not Applicable लिखा होता है या निगेटिव रहता है |

स्टॉक खरीदने से पहले Nifty/Sensex का PE Ratio देखे उसके बाद उसके रेंज में आने का इंतजार करे और फिर मजबूत फंडामेंटल और कम P/E वाले शेयर में निवेश करे |

वर्तमान  स्टॉक के मौजूदा ट्रेडिंग वैल्यू  P/E को चेक करने के लिए ऑनलाइन किसी भी वित्तीय वेबसाइट से इकट्ठा किया जा सकता है।

एक महत्वपूर्ण निवेश निर्णय लेने से पहले कंपनी या क्षेत्र के बारे में पूरी तरह से शोध किया जाना चाहिए |

Nifty का PE Ratio से सम्बंधित डाटा

1999 में जब निफ़्टी का PE Ratio 12 था तब मार्केट के ऊपर जाने पर निवेशकों को 105 % का रिटर्न मिला था | 2003 में जब P/E Ratio 11 था तब रिटर्न 116 % का मिला था | 2008 में मार्केट क्रैश होने के बाद बॉटम बना और उस समय PE 10 था वहाँ से प्रति वर्ष रिटर्न 130 % का मिला |

जब फ़रवरी 2000 में PE Ratio 28 था तो वहाँ से मार्केट गिरने पर रिटर्न निगेटिव 53 % था | और जब जनवरी 2008 में मार्केट अपने टॉप पर था और उस समय किसी ने खरीदारी की होगी तो उस वर्ष उसे नेगेटिव 64 का रिटर्न मिला होगा | इसीलिए हमेशा निवेश के पहले मार्केट का ट्रेंड देखना चाहिए की मार्केट लगातार बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ गया बिना किसी करेक्शन के |

नोट:आपको किसी भी स्टॉक में निवेश करने के लिए केवल उस कंपनी के कम/अधिक PE Ratio के आधार पर नहीं करना चाहिए बल्कि उसके उच्च  फंडामेंटल्स, भविष्य में ग्रोथ करने की सम्भावना और उस कंपनी पर अपनी खुद की अच्छी तरीके से शोध करने के बाद ही करना चाहिए |

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