यदि आप शेयर बाजार के निवेशक है तो आपको ये पता होना चाहिए की How Share Price Increase or Decrease यानि शेयर के प्राइस के बढ्ने और गिरने के क्या – क्या कारण हो सकते है वैसे तो शेयर के भाव का गिरने और बढ्ने का कई कारण होता है जैसे फंडामैंटल, टेक्निकल या कोई न्यूज़ या कुछ कॉर्पोरेट एक्शन
कोई कंपनी फ्युचर मे कितना ग्रोथ करेगी ये उनके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स पर निर्भर करता है क्योंकि कंपनी के सारे निर्णय बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ही लेते है तो यहाँ पर डिपेंड करता है की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स कितना कैलकुलेटिव निर्णय लेते है या कितना जोखिम भरा निर्णय लेते है उसी के आधार पर कंपनी का फ्युचर डिसाइड होता है।
तो हम इस आर्टिक्ल मे Board of Directors के 5 ऐसे एक्शन के बारे मे बात करेंगे जिससे Share Price मे उतार – चढ़ाव देखने को मिलता है –
- Dividend क्या होता है? और Dividend देने का कारण एवं प्रोसैस क्या होता है?
- Bonus Issue क्या होता है और Bonus Issue क्यों लाया जाता है?
- Stock Split क्या होता है और Stock Split क्यों होता है?
- Right Issue क्या होता है और Right Issue देने का प्रोसैस क्या होता है?
- Buy Back of Share का मतलब क्या होता है और क्यूँ किया जाता है?
इस आर्टिक्ल मे हम इसके बारे मे विस्तार से जानेंगे
कंपनी एक वर्ष मे जो मुनाफा कमाती तो उसमे शेयर होल्डर का भी हिस्सा होता है जिसे कंपनी शेयर होल्डर को उनके शेयर के अनुपात के हिसाब से उन्हे लाभांश (Dividend) देती है। क्योंकि लाभांश प्रति शेयर के आधार पर दिया जाता है। लाभांश हमेशा शेयर के फ़ेस वैल्यू के प्रतिशत (Percentage) के आधार पर दिया जाता है न की वर्तमान बाजार मूल्य पर। यह जरूरी नहीं है की कंपनी हमेशा लाभांश दे कभी – कभी कंपनी लाभांश देने के बजाय कंपनी के फ्युचर ग्रोथ पर खर्च करती है। लाभांश देने से कंपनी पर लोगो का भरोसा बढ़ता है।
उदाहरण- सन 2012-13 मे Infosys ने Per Share Dividend ₹ 42 का दिया था और कंपनी की Face Value ₹ 5 थी यानि Infosys ने एक शेयर पर 840 % का डिविडेंड दिया था।
Dividend देने का Process क्या होता है?
शेयर होल्डेर्स को लाभांश देने का फैसला AGM (Annual General Meeting) की बैठक मे लिया जाता है जहाँ कंपनी के Board of Directors मिलते है और लाभांश देने की घोषणा करते है परंतु घोषणा के तुरंत बाद ही डिविडेंड नहीं मिलता क्योंकि एक्स्चेंज के शेयर मे खरीदी बिक्री लगातार चलती रहती है ऐसे मे पता लगाना मुश्किल हो जाता है की लाभांश किसे दिया जाए किसे नहीं। डिविडेंड देने का प्रोसैस ऐसे है
Dividend Declaration Date
ये वो दिन होता है जिस दिन AGM की बैठक होती है और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स Dividend का Approval देते है।
Record Date क्या होता है?
ये वो दिन है जिस दिन कंपनी अपने Record को देखती है और उसमे जिस शेयर होल्डेर्स के नाम होते है उन्हे डिविडेंड देने का फैसला करती है। आम तौर पर Dividend के Announcement या Declaration और Record Date के बीच 30 दिनो का अंतर होता है।
Ex Date या Ex – Dividend Date क्या होता है?
ये आमतौर पर Record Date से 2 Business Day पहले का Date होता है। क्योंकि भारत मे (T + 2) Days के आधार पर सौदे का निपटान होता है। यानि जिस दिन सौदा कर रहे है उसके 2 दिन बाद मे Settlement होगा। यदि आपको किसी शेयर का लाभांश चाहिए तो आपको ये शेयर Ex – Dividend Date के पहले खरीदना होगा।
Dividend Payout Date क्या होता है?
इस दिन कंपनी द्वारा शेयर होल्डेर्स को लाभांश का भुगतान किया जाता है।
शेयर का प्राइस डिविडेंड के आधार पर कब गिरता है?
Ex – Dividend के Date तक शेयर होल्डर को Comes Dividend कहा जाता है, जब शेयर Ex – Dividend हो जाता है तो शेयर के मूल्य मे लाभांश के मूल्य के बराबर का गिरावट आ जाता है।
जैसे- A नाम की कंपनी के शेयर का मूल्य ₹ 335 है और कंपनी ने ₹ 5 का लाभांश देने का घोषणा किया तो Ex – Dividend की Date तक शेयर की कीमत ₹ 330 तक गिर सकती है। क्योंकि कंपनी के पास अब ₹ 5 नहीं है।
Bonus Issue क्या होता है और कैसे मिलता है?
ये भी एक तरह का स्टॉक डिविडेंड ही है इसमे कंपनी पैसे देने के बजाय शेयर देती है। ये शेयर कंपनी अपने रिजर्व से जारी करती है। बोनस शेयर स्टॉक होल्डर को फ्री ऑफ कॉस्ट दिया जाता है। ये शेयर स्टॉक होल्डर को इस आधार पर दिया जाता है की उनके पास कंपनी के कितने शेयर मौजूद है। बोनस शेयर आमतौर पर Particular Ratio मे जारी किया जाता है जैसे 1:1, 2:1, 3:1
- यदि कोई कंपनी 2:1 के आधार पर बोनस शेयर जारी करती है तो इसका मतलब की शेयर होल्डर्स को प्रत्येक एक शेयर पर 2 फ्री शेयर मिलेंगे। यानि किसी के पास यदि उस कंपनी का 100 शेयर मौजूद है तो उसे 200 शेयर फ्री मिलेंगे अब उसके पास कंपनी के टोटल शेयरों की संख्या 300 हो गयी। लेकिन आपका इनवेस्टमेंट अमाउंट वही रहेगा जो पहले था 100 शेयर के समय।
- जैसे आपने किसी कंपनी का शेयर ₹ 75 के भाव पर 100 शेयर खरीदा तो आपका कुल इनवेस्टमेंट हो गया ₹ 7500, जब आपको 2:1 के आधार पर बोनस मिला तो आपके कुल शेयर की संख्या हो गयी 300 लेकिन आपका इनवेस्टमेंट अमाउंट अब भी वही है ₹ 7500 यहाँ पर शेयर के कीमत मे गिरावट आएगी बोनस रैशियो के आधार पर।
डिविडेंड के तरह ही इसमे भी Announcement Date, Ex – Date, Record Date और Payout Date होता है।
Bonus Issue क्यों लाया जाता है?
जब शेयर का प्राइस बहुत बढ़ जाता है तब छोटे (Retail Investor) उस शेयर मे एंट्री लेने से डरते है इस लिए कंपनियाँ शेयर का भाव गिराने के लिए बोनस इशू जारी करती है। शेयर का भाव गिरने पर Retail Investor की भागेदारी बढ़ जाती है। क्योंकि Retail Investor सस्ते शेयर मे एंट्री लेना पसंद करते है। बोनस इशू आने पर शेयरों की संख्या एक्स्चेंज मे बढ़ जाती है लेकिन फ़ेस वैल्यू नहीं बदलती। अगर कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती रहती है तो उस शेयर मे एंट्री लेना सही माना जाता है।
इसमे भी बोनस के ही तरह आपके नंबर ऑफ शेयर्स बढ़ जाते है लेकिन इनवेस्टमेंट वैल्यू और मार्केट कैप नहीं बढ़ता। Stock Split शेयर के फ़ेस वैल्यू से जुड़ा होता है। स्टॉक के Split होने पर शेयर की फ़ेस वैल्यू कम हो जाती है।
- उदाहरण- माना किसी शेयर की फ़ेस वैल्यू ₹ 10 है और यह शेयर 1:2 मे Split हुआ है तो अब शेयर की फ़ेस वैल्यू घटकर ₹ 5 हो गयी। पहले यदि आपके पास 1 शेयर था तो अब 2 शेयर हो जाएगा।
- माना आपके पास Split के पहले 100 शेयर थे और उस समय एक शेयर की प्राइस ₹ 900 थी। और फ़ेस वैल्यू 10 थी तो आपका टोटल इनवेस्टमेंट वैल्यू ₹ 90000 थी। अब शेयर के 1:2 Split के बाद फ़ेस वैल्यू ₹ 5 हो जाएगी और आपके पास कुल शेयरो की संख्या 200 हो जाएगी। शेयर की मूल्य आधी होकर ₹ 450 हो जाएगी और आपकी इनवेस्टमेंट वैल्यू अब भी वही रहेगी ₹ 90000
शेयर Split क्यों होता है? इसका असर प्राइस पर कैसे पड़ता है?
ये भी बोनस इशू की तरह रीटेल इन्वेस्टर की भागेदारी बढ़ाने के लिए किया जाता है जैसे अभी टाटा स्टील का शेयर 1:10 मे Split हुआ तो Split के पहले एक शेयर की प्राइस ₹ 800 और Split के बाद एक शेयर की प्राइस ₹ 80 रुपए हो गयी। रीटेल इन्वेस्टर को ₹ 800 का एक शेयर मंहगा लगता है जिससे वो उस शेयर मे एंट्री लेने मे घबराते है लेकिन ₹ 80 का शेयर अब उन्हे सस्ता लगने लगता है और रीटेल इन्वेस्टर इसे शेयर खरीदने का समय मानकर एंट्री लेते है।
यह कोई शेयर खरीदने के नियम नहीं है, अगर आपको अच्छे मजबूत फंडामेंटल और वैल्यू वाले शेयर जिसके भविष्य पर आपको भरोसा हो उसी शेयर मे ऐसा मौका मिल रहा हो तभी आपको इन्वेस्ट करना चाहिए।
Right Issue क्या होता है और यह शेयर खरीदने का समय क्यों माना जाता है?
- ये भी आईपीओ की तरह होता है फर्क इसमे इतना है की आईपीओ के माध्यम से कंपनी नए इन्वेस्टर से फ़ंड इकट्ठा करती है और वहीं Right Issue के माध्यम से कंपनी अपने Existing Shareholders से ही फ़ंड इकट्ठा करती है और उस फ़ंड का इस्तेमाल कंपनी के ग्रोथ पर करती है।
- Right Issue लाने का मतलब होता है की कंपनी कुछ नया काम करने जा रही है, पुराने शेयर होल्डर्स अपने पास मौजूद शेयर के अनुपात मे Right Issue से शेयर खरीद सकते है।
- उदाहरण- अगर कोई कंपनी 1:4 के राइट इशू जारी करती है तो इसका मतलब है की यदि आपके पास उस कंपनी 4 शेयर मौजूद है तो आप 1 शेयर खरीद सकते है राइट इशू मे। राइट इशू मे शेयर का भाव काफी कम रहता है करेंट मार्केट के भाव से। (How Share Price Increase or Decrease in Hindi) जैसे मानलीजिए किसी शेयर का वर्तमान बाजार मूल्य एक्स्चेंज मे ₹ 10 चल रहा है और वहीं जो इन्वेस्टर राइट इशू मे अप्लाई किए है उन्हे शेयर ₹ 6 मे मिल सकता है।
- वैसे इन्वेस्टर को राइट इशू शेयर के कीमत पर मिल रही छूट को केवल नहीं देखना चाहिए क्योंकि यहाँ कंपनी आपसे पैसे ले रही है शेयर के बदले ये कोई बोनस शेयर नहीं है इसलिए ये शेयर आपको तभी खरीदना चाहिए जब आपको कंपनी के भविष्य पर भरोसा हो।
- अगर राइट इशू के पहले बाजार मे शेयर की प्राइस गिर जाती है और राइट इशू के नीचे भी चली जाती है तो वो शेयर खरीदने का समय एकअच्छा मौका माना जाता है।
Buy Back के माध्यम से कंपनी अपने खुद के शेयर को शेयर बाजार से खरीदती है, इसे कंपनी के खुद के इनवेस्टमेंट के तौर पर देखा जाता है। Buy Back से बाजार मे कंपनी के शेयर्स की संख्या कम हो जाती है। इसे कॉर्पोरेट फेरबदल का भी एक तरीका माना जाता है।
Buy Back के और भी कई वजह है प्रति शेयर लाभ को और भी ज्यादा बढ़ाना, कंपनी मे प्रोमोटर का हिस्सा बढ़ाना, किसी और के कंपनी पर कब्जा होने के जोखिम को कम करना, शेयर के कीमत मे आ रही गिरावट को रोकना इससे पता चलता है की कंपनी को अपने व्यापारिक गतिविधियो पर भरोसा है यही वजह है की कोई कंपनी Buy Back of Share का घोसणा करती है जिससे शेयर प्राइस ऊपर जा सकते है। इससे बाजार मे कंपनी पर भरोसा बढ़ता है।
शेयर खरीदने के नियम
अगर आप अच्छे क्वालिटी वाले स्टॉक में निवेश करना चाहते लंबी अवधि के लिए तो इस तरीके को शेयर खरीदने के नियम मे शामिल कर सकते है जिससे आपके इनवेस्टमेंट के सेफ रिटर्न की उम्मीद बढ़ जाती है।
आपको किसी कंपनी के Bonus, Dividend, Split, Right Issue और Buyback of Share की घोषणा सुनकर तुरंत नहीं इन्वेस्ट करना चाहिए उससे पहले आपको कंपनी के प्रोमोटर और कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझना चाहिए फिर कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल एनालिसिस करना चाहिए वहाँ पर अगर आपको शेयर वैल्यूएबल मिल रहा हो तभी करना चाहिए।
फंडामेंटल के लिए आपको देखना चाहिए
- शेयर अपने Intrinsic Value के नीचे मिल रहा है की नहीं।
- शेयर का ROCE और ROE 20 % के ऊपर है की नहीं।
- PEG Ratio 1 से कम है की नहीं।
- PB Ratio 2 से कम हो तो ज्यादा अच्छा माना जाता है।
- PE Ratio 20 से कम का हो।
- शेयर का बाजार मूल्य बुक वैल्यू के आस – पास हो।
- कंपनी डिविडेंड बोनस देती हो।
- कंपनी पर बहुत ज्यादा कर्ज न हो लगभग कर्जमुक्त हो।
- प्रोमोटर अपनी होल्डिंग बहुत कम न किया हो या शेयर गिरवी (Pledge) न रखा हो।
- कंपनी का 5 Year Sales Growth अच्छा होना चाहिए।
- सेल्स और प्रॉफ़िट की CAGR Growth Rate 15 % से ज्यादा की होनी चाहिए।
- ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट मार्जिन (OPM) और नेट प्रॉफ़िट पॉज़िटिव होना चाहिए।
- कंपनी का क्वार्टर रिज़ल्ट मैच करना चाहिए।
- कंपनी का EPS पॉज़िटिव होना चाहिए।
टेक्निकल एनालिसिस के लिए आपको शेयर का MACD, RSI, DEMA और चार्ट देखना चाहिए।
इसे भी पढे Mutual fund kya hai? म्यूच्यूअल फण्ड के फायदे और नुकसान
निष्कर्ष:
आप सबने इस आर्टिक्ल How Share Price Increase or Decrease in Hindi के माध्यम से जाना की Dividend क्या होता है? और Dividend देने का कारण एवं प्रोसैस क्या होता है?, Bonus Issue क्या होता है और Bonus Issue क्यों लाया जाता है?, Stock Split क्या होता है और Stock Split क्यों होता है?, Right Issue क्या होता है और Right Issue देने का प्रोसैस क्या होता है?, Buy Back of Share का मतलब क्या होता है और क्यूँ किया जाता है? अच्छे शेयर खरीदने के नियम क्या है? और जाना की शेयर मूल्य अगर राइट इशू के नीचे भी चली जाती है तो वो शेयर खरीदने का समय एकअच्छा मौका माना जाता है।
अगर आपको ये आर्टिक्ल How Share Price Increase or Decrease in Hindi पसंद आया हो तो कमेंट बॉक्स मे जरूर बताए और इसे आगे शेयर करे।